Benefits of Brass
पीतल के फायदे / लाभ
भारतीय जीवनशैली आयुर्वेद आधारित जीवन शैली है यहाँ के ग्रामीण अंचलों में परंपरागत संस्कृति व्यवहार, भोजन आदि के रूप में इसे सरलता से देखा जा सकता है। यहाँ भोजन और दिनचर्या से ही रोग न हो ऐसा प्रयास किया जाता रहा है। यहाँ सूक्ष्म पोषक तत्वों को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्व दिया जाता रहा है ये सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) विभिन्न प्रकार के बर्तनों से सरलता से प्राप्त हो जाते हैं जो स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायता करते हैं। इसलिए पीतल ताँबा, काँसा, मिट्टी आदि के बर्तनों को आज भी विवाह के अवसर पर पुत्रियों को देना शुभ माना जाता है। और किसी भी शुभ काम में इनका प्रयोग भी सदियों से होता आया है|
यहाँ हम पीतल के गुण धर्म की चर्चा करेंगे। इसके बर्तनों को क्यों महत्त्व दिया जाता है? इससे हमारा आपका शारीरिक स्वास्थ्य कैसे जुड़ा है। इसके चमत्कारिक लाभ को कैसे प्राप्त कर सकते हैं। आयुर्वेदिक जीवन पद्धति कैसे पीतल से जुड़ी है।
पीतल एक मिश्र धातु है जो तांबे और जस्ते को मिलाकर बनाई जाती है।
पीतल के बर्तन जल्दी गर्म होते हैं इसलिए इससे गैस की बचत भी होती है। इसके बर्तनों पका भोजन खाने से इसमें रखा पानी पीने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और अत्यधिक ऊर्जा भी मिलती है। व भोजन स्वादिष्ट भी लगता है।
आयुर्वेद के अनुसार वात पित्त , कफ सभी सन्तुलित रहें तो रोगों की संभावना नहीं रहती । इसका पानी पीने से पित्त और कफ शान्त रहता है। पीतल के बर्तनों में कीटाणुओं को नष्ट करने की बहुत अधिक क्षमता होती है जिससे हमें निरोग रहने में सहायता मिलती है। यह हीमोग्लोबीन की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है।
यह पीले रंग का होता है इसलिए आँखो के लिए विशेष लाभदायक है। इसमें अगर हम ज्यादा देर खाना रखें तो भी उससे खाने का गुण धर्म नहीं बदलता इस कारण नुकसान भी नहीं होता। रसोईघर के सूखे सामान रखने से भी उसके गुणों में बदलाव नहीं होता है ।
इसलिए अगर आप भी सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) को बिना किसी मेहनत के सरलता से पाना चाहते हैं तो अपने रसोईघर में पीतल का उपयोग प्रारंभ कर दें।
पीतल के उपयोगी सामान
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